आम ग्राहक, अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?
Last Updated: 18 Nov 2025
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भारत की रिटेल महँगाई (CPI – Consumer Price Index) अक्टूबर में सिर्फ़ 0.25% रह गई है—जो कि मौजूदा CPI सीरीज़ का सबसे कम स्तरहै।
यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने और GST में कटौती का परिणाम है।
इतनी कम महँगाई से न केवल आम ग्राहकों को राहत मिलती है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था, ब्याज दरों और निवेश बाज़ार पर भी बड़ा असर पड़ता है।
इस ब्लॉग में हम समझेंगे:
महँगाई इतनी नीचे क्यों आई?
अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव
निवेशकों के लिए इससे क्या अवसर और सावधानियाँ निकलती हैं
अक्टूबर 2025 की CPI महँगाई 0.25% रही, जबकि सितंबर में यह 1.4% थी।
इस तेज गिरावट के तीन बड़े कारण हैं:
फल, सब्ज़ियों, दालों और तेलों की कीमतें साल-दर-साल लगभग 5% कम हुईं
खरीफ सीजन की अतिरिक्त सप्लाई
सरकार की मूल्य-नियंत्रण और बफर-स्टॉक पॉलिसी
इससे CPI के प्रमुख घटक “Food Basket” में भारी गिरावट दर्ज हुई।
सितंबर–अक्टूबर में GST कटौती ने कई वस्तुओं को सस्ता बना दिया:
4-Wheeler: 8.8% सस्ती
2-Wheeler: 5.1% सस्ती
इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और चुनिंदा खाद्य उत्पादों पर भी कीमतें कम हुईं
इन कटौतियों ने CPI को नीचे धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पिछले साल अक्टूबर में महँगाई लगभग 6.2% थी।
उसी उच्च बेस की वजह से इस वर्ष का YoY (Year-on-Year) महँगाई डेटा और ज़्यादा कम दिख रहा है।
जब चीज़ें सस्ती होती हैं, तो:
रोज़मर्रा की ज़रूरतें सस्ती
डिस्क्रीशनरी आइटम (जैसे मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो) की माँग बढ़ती है
यह FMCG, रिटेल, ऑटो और ड्यूरेबल सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत है।
कम महँगाई = केंद्रीय बैंक (RBI) को ब्याज दरें कम करने का मौका
सस्ता लोन
हाउसिंग और ऑटो लोन की माँग बढ़ना
कंपनियों की लागत कम होना
उद्योगों का Capex (नई निवेश परियोजनाएँ) बढ़ना
GDP दो चीज़ों से बनती है:
✔ Real GDP (अर्थव्यवस्था का वास्तविक उत्पादन)
✔ Inflation (कीमतें)
अगर महँगाई बहुत कम है, तो Nominal GDP धीमा दिखता है, भले ही Real GDP तेज़ चल रहा हो।
उदाहरण:
अगर Real GDP = 7%
महँगाई = 5% → Nominal GDP = लगभग 12%
लेकिन अगर महँगाई = 2% → Nominal GDP = 9%
अर्थ → Real Growth अच्छा होने के बावजूद Nominal Growth धीमी दिखेगी।
जैसे ही दरें गिरती हैं:
Discount Rate कम होता है
भविष्य की Earnings का Present Value बढ़ जाता है
इससे Equity Valuation मजबूत होती है
अर्थ:
👉 शेयर बाज़ार को कम महँगाई आमतौर पर पसंद होती है।
इतिहास कहता है कि शेयर बाज़ार के दीर्घकालिक रिटर्न Nominal GDP के करीब होते हैं।
तो अगर महँगाई कम होने से Nominal GDP धीमा होता है…
👉 Equity Returns भी थोड़े Moderate होंगे
लेकिन यह चिंताजनक नहीं है।
Real Returns = Nominal Return – Inflation
जब महँगाई बहुत कम होती है:
Real Returns ज़्यादा होते हैं
Tax भी Nominal Returns पर लगता है, इसलिए Post-Tax Benefit बेहतर मिलता है
अर्थ:
👉 कम महँगाई में निवेशक “असली लाभ” ज़्यादा कमा सकते हैं।
भारत की CPI महँगाई का 0.25% पर आना—
✔ आर्थिक स्थिरता का संकेत
✔ उपभोग में तेज़ी
✔ कैपेक्स और उद्योग निवेश में बढ़ोतरी की संभावना
✔ ब्याज दरों पर राहत का रास्ता
✔ निवेशकों के लिए बेहतर Real Returns
आने वाले महीनों में Base Effect हटने से थोड़ी महँगाई वापस आ सकती है,
लेकिन समग्र रूप से Inflation नीचे के दायरे में स्थिर रहने की उम्मीद है।
Shrikrashn Tomar
🎓 IIM Lucknow Alumnus | 15+ Years of Experience in Capital Markets
Founder – AimMoney Finbest Services Pvt. Ltd.
यह ब्लॉग पोस्ट केवल शैक्षणिक उद्देश्य (Educational Purpose) के लिए है।
इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं है।
निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।
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