Blog Detail

Page Title

Home / Blog / Financial भारत में रिटेल महँगाई ऐतिहासिक रूप से सबसे कम!

भारत में रिटेल महँगाई ऐतिहासिक रूप से सबसे कम!

  November 19,2025

 भारत में रिटेल महँगाई ऐतिहासिक रूप से सबसे कम!

आम ग्राहक, अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?

 Last Updated: 18 Nov 2025

 Estimated Read Time: 5 Minutes

भारत की रिटेल महँगाई (CPI – Consumer Price Index) अक्टूबर में सिर्फ़ 0.25% रह गई है—जो कि मौजूदा CPI सीरीज़ का सबसे कम स्तरहै।
यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने और GST में कटौती का परिणाम है।
इतनी कम महँगाई से न केवल आम ग्राहकों को राहत मिलती है, बल्कि इससे अर्थव्यवस्था, ब्याज दरों और निवेश बाज़ार पर भी बड़ा असर पड़ता है।

इस ब्लॉग में हम समझेंगे:

  • महँगाई इतनी नीचे क्यों आई?

  • अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

  • निवेशकों के लिए इससे क्या अवसर और सावधानियाँ निकलती हैं


📉 1. महँगाई ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पर क्यों पहुँची?

अक्टूबर 2025 की CPI महँगाई 0.25% रही, जबकि सितंबर में यह 1.4% थी।
इस तेज गिरावट के तीन बड़े कारण हैं:


(A) खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बड़ी गिरावट

  • फल, सब्ज़ियों, दालों और तेलों की कीमतें साल-दर-साल लगभग 5% कम हुईं

  • खरीफ सीजन की अतिरिक्त सप्लाई

  • सरकार की मूल्य-नियंत्रण और बफर-स्टॉक पॉलिसी

इससे CPI के प्रमुख घटक “Food Basket” में भारी गिरावट दर्ज हुई।


(B) GST दरों में कमी का फायदा

सितंबर–अक्टूबर में GST कटौती ने कई वस्तुओं को सस्ता बना दिया:

  • 4-Wheeler: 8.8% सस्ती

  • 2-Wheeler: 5.1% सस्ती

  • इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े और चुनिंदा खाद्य उत्पादों पर भी कीमतें कम हुईं

इन कटौतियों ने CPI को नीचे धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


(C) Base Effect का असर

पिछले साल अक्टूबर में महँगाई लगभग 6.2% थी।
उसी उच्च बेस की वजह से इस वर्ष का YoY (Year-on-Year) महँगाई डेटा और ज़्यादा कम दिख रहा है।


🏦 2. अर्थव्यवस्था पर इस कम महँगाई का क्या असर होगा?


(A) उपभोग (Consumption) बढ़ेगा

जब चीज़ें सस्ती होती हैं, तो:

  • रोज़मर्रा की ज़रूरतें सस्ती

  • डिस्क्रीशनरी आइटम (जैसे मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो) की माँग बढ़ती है

यह FMCG, रिटेल, ऑटो और ड्यूरेबल सेक्टर के लिए सकारात्मक संकेत है।


(B) ब्याज दरों में कटौती की संभावना बढ़ेगी

कम महँगाई = केंद्रीय बैंक (RBI) को ब्याज दरें कम करने का मौका

  • सस्ता लोन

  • हाउसिंग और ऑटो लोन की माँग बढ़ना

  • कंपनियों की लागत कम होना

  • उद्योगों का Capex (नई निवेश परियोजनाएँ) बढ़ना


(C) Nominal GDP Growth कम हो सकती है

GDP दो चीज़ों से बनती है:
✔ Real GDP (अर्थव्यवस्था का वास्तविक उत्पादन)
✔ Inflation (कीमतें)

अगर महँगाई बहुत कम है, तो Nominal GDP धीमा दिखता है, भले ही Real GDP तेज़ चल रहा हो।
उदाहरण:

  • अगर Real GDP = 7%

  • महँगाई = 5% → Nominal GDP = लगभग 12%

  • लेकिन अगर महँगाई = 2% → Nominal GDP = 9%

अर्थ → Real Growth अच्छा होने के बावजूद Nominal Growth धीमी दिखेगी।


📈 3. निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?


(A) कम महँगाई + कम ब्याज दर = Equity Valuation के लिए फायदेमंद

जैसे ही दरें गिरती हैं:

  • Discount Rate कम होता है

  • भविष्य की Earnings का Present Value बढ़ जाता है

  • इससे Equity Valuation मजबूत होती है

अर्थ:
👉 शेयर बाज़ार को कम महँगाई आमतौर पर पसंद होती है।


(B) Equity Returns अब Nominal GDP के साथ चलेंगे

इतिहास कहता है कि शेयर बाज़ार के दीर्घकालिक रिटर्न Nominal GDP के करीब होते हैं।
तो अगर महँगाई कम होने से Nominal GDP धीमा होता है…
👉 Equity Returns भी थोड़े Moderate होंगे

लेकिन यह चिंताजनक नहीं है।


(C) Real Returns मजबूत रहेंगे

Real Returns = Nominal Return – Inflation

जब महँगाई बहुत कम होती है:

  • Real Returns ज़्यादा होते हैं

  • Tax भी Nominal Returns पर लगता है, इसलिए Post-Tax Benefit बेहतर मिलता है

अर्थ:
👉 कम महँगाई में निवेशक “असली लाभ” ज़्यादा कमा सकते हैं।


🧭 निष्कर्ष: निवेशकों और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए सकारात्मक संकेत

भारत की CPI महँगाई का 0.25% पर आना—
✔ आर्थिक स्थिरता का संकेत
✔ उपभोग में तेज़ी
✔ कैपेक्स और उद्योग निवेश में बढ़ोतरी की संभावना
✔ ब्याज दरों पर राहत का रास्ता
✔ निवेशकों के लिए बेहतर Real Returns

आने वाले महीनों में Base Effect हटने से थोड़ी महँगाई वापस आ सकती है,
लेकिन समग्र रूप से Inflation नीचे के दायरे में स्थिर रहने की उम्मीद है।


🖋️ Prepared By:

Shrikrashn Tomar
🎓 IIM Lucknow Alumnus | 15+ Years of Experience in Capital Markets
Founder – AimMoney Finbest Services Pvt. Ltd.


📘 Educational Disclaimer:

यह ब्लॉग पोस्ट केवल शैक्षणिक उद्देश्य (Educational Purpose) के लिए है।
इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं है।
निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह अवश्य लें।

Tags : ,